भावनात्मक कविता, या “Emotional Shayari”, शब्दों द्वारा गाई जाने वाली एक हार्दिक धुन की तरह है। 🎶 यह सावधानीपूर्वक तैयार किए गए छंदों के माध्यम से गहरी भावनाओं, जैसे प्यार, उदासी, खुशी या लालसा को व्यक्त करने की कला है। 📝 प्रत्येक पंक्ति पाठक की भावनाओं से गूंजती है, उनके दिल की धड़कन को छूती है और एक मजबूत प्रतिक्रिया उत्पन्न करती है। 🌟 भावनात्मक कविता मानवीय अनुभवों के सार को पकड़ती है, जिससे पाठकों को उनके अंतरतम विचारों और भावनाओं से जुड़ने का मौका मिलता है। 💖
Emotional Shayari को पड़कर हो जाएंगे इमोशनल 💖
बयां हो जाती अगर मोहब्त लब्ज़ों में,
दुनियाँ में अच्छे शायर हुआ ही नहीं करते।
कहाँ ख़बर थी ये भी दिन आएगा,
एक अनजान के लिए रोया जाएगा।
जिनकी आदत है मुकर जानें की,
वो भी कहते हैं इश्क़ ज़रुरी है बहुत।
बड़े सुकून से इश्क़ किया है उनसे,
समाज की क्यों सोचना शादी के लिए।
अदाओं का खेल है बहुत सारा,
कुछ लोग ज़िस्म पर भी मरते होंगे।
यूँ तो मुझे बदनामी अपनी अच्छी नहीं लगती,
मगर लोग तेरे नाम से छेड़ें तो बुरा भी नहीं लगता।
मान लिया है कि जहाँ में तुमसे बेहतर कोई नहीं,
हमें अच्छा लगता है इसी भरम में जीते रहना।
हँस रहे थे लोग मोहब्ब्त के नाम पर,
एक हम बेवकूफ हँस ही नहीं पाए।
मंगवाई गई है दवा शहर भर के लिए,
देखो मर न जाएँ लोग ज़िन्दगी के लिए।
रहनुमा तुम मेरे तुझ से सवेरे हैं,
तेरे बिना दुनिया में महज़ अँधेरे हैं।
कितने दिलो को तोड़ती है कमबख्त फरवरी,
यू ही किसी ने इसके दिन नही घटाएं है।
इश्क से इश्क तो अक्सर करतें हैं लोग,
हमने तो तेरी नज़र अंदाज़ी से भी इश्क बेशुमार किया है।
कभी नश्तर सी ठण्डी हवाएं कभी चिलचिलाती धूप,
जान ये फरवरी भी कुछ कुछ आपके जैसी है।
ये फरवरी के ओस बताते है
गम इसे भी है जनवरी के जाने का।
लगा के इश्क़ की बाजी सुना है दिल दे बैठे हो,
मुहोब्बत मार डालेगी अभी तुम फ़ूल जैसे हो।
तुमने निकलते देखे होंगे जनाजे अरमानों के,
हमने खुलेआम दफनाई है ख्वाहिशें अपनी।
उसने एक बार थामा था हाथ मेरा,
मेरी हथेली पर अब हर रोज़ फूल खिलते हैं।सब कुछ खो कर तुमको पाने की चाहत रखता हूं,
तुम्हारा नाम अपने नाम के साथ देखना चाहता हूं।
लहंगा तो तुम्हारी पसंदीदा डिजाइनर का था सनम
फिर मैं कैसे मान लेता की मजबूर थी तुम।
रिश्तों में निख़ार सिर्फ हाथ मिलाने से नहीं आता,
विपरीत हालातों में हाथ थामें रहने से आता हैं।
यूँ ना लगाया करो खवाबों में मुझे सीने से,
दिन भर मिलने की चाहत सी लगी रहती है।
जो है जितना है तुमसे है काफी है,
अब इश्क हो या पागलपन हम सब में राजी है।
अपने कदमो के निशान मेरे रास्ते से हटा दो,
कही ये ना हो मैं चलते चलते तेरे पास आ जाऊँ।
मुझको कोई शिकवा वो भी तुम सेये मेरी बस की बात नहीं,
यूँ ही भीग गई थी पलकें सच-मुच कोई बात नहीं
मुद्दत हुई है बिछड़े हुए अपने-आप से,
देखा जो आज तुम को तो हम याद आ गए।
होगा तेरी वफाओं का समन्दर किसी और के लिये,
हम तो तेरे साहिल पर आकर प्यासे ही बैठे हैं।
इश्क का कोई रंग नहीं फिर भी सतरंगी ख्वाब दिखाता है,
महोब्बत की कोई खुश्बू भी नहीं फिर भी रूह को इत्र सा महकाता है।
उन आँखों की दो बूंदों से सातों समंदर हारे होंगे,
जब मेंहदी वाले हाथों ने मंगलसूत्र उतारे होंगे।
पूछा किसी ने मुझसे याद आती है उसकी,
मैं मुस्कुराया और बोला तभी तो जिंदा हूं।
दफ़अतन पिछले पहर आँख खुली ऐसा लगा,
जैसे तुमने हमें सीने से लगा रक्खा है।
पतझड़ का मौसम भी नवरंग हो गया,
वो छू गए हमें कि मन बसंत हो गया।
मेरे इश्क़ के तरीके बेहद जुदा हैं औरों से,
मुझे तन्हा होने पर भी इश्क़ करना आता है तुमसे।
कोई शिकायत नही रही तुम्हारी बेरुखी से अब
मसरूफ तुम भी अच्छे हो तो तन्हा हम भी है मस्त।
मैं तकता था उसको प्यासे होंटों से,
वो एक बदली थी मेरी नाव डुबोने आयी थी।
धारा तीन सौ सात लगनी थी तेरी निगाहों पर,
यूं देखना भी कत्ल की कोशिश में शुमार होता है।
मैंने कहा तीखी मिर्ची हो तुम,
उसने मुझे चूम के कहा अब बताओ।
वादा है जब भी मिलोगी हर बार तुम्हें इश्क़ होगा,
मोहब्बत पूरी शिद्दत से होगी और प्यार बेपनाह होगा।
तरस गए हैं तेरे लब से कुछ सुनने को हम,
प्यार की बात न सही कोई शिकायत ही कर दे।
मसरुफियत में आती है बे-हद याद तुम्हारी,
और फिर फुर्सत मे तुम्हारी याद से फुर्सत नही मिलती।
बदला हुआ है आज मेरे आँसुओं का रंग,
क्या दिल के ज़ख़्म का कोइ टाँका उधड़ गया।
दुखती रग पर उंगली रख कर पूछ रहे हो कैसी हो,
तुमसे ये उम्मीद नहीं थी दुनियां चाहे जैसी हो।
मेरे वजूद के बाएँ पहलू में,
दिल नही तुम धड़कती हो।
किसी को तो रास आएंगे हम भी,
ये दिल बे घर तो नहीं होगा।
मुहब्बत को कोई समझे तो आखिर किस तरह समझें,
ज़ालिम इन्तहा तक इब्तीदा मालूम होती है।
तेरे आने से भी सज सकता था मेरे घर का आंगन,
ये जरूरी नहीं कि आसमां से चांद ही उतारा जाये।
खामोश उर्दू सी मोहब्बत है उसकी आंखों में,
कहा उससे जाता नहीं और पढ़ना हमें आता नहीं।
सुना है साथ चलने से मुकद्दर जाग जाती हैं,
यही बात आजमाने को चलो एक साथ चलते हैं।
क़ोई बीमार हम सा नहीं क़ोई इलाज तुमसा नहीं,
कहने लगी है अब तो मेरी तन्हाई भी मुझसे ही कर लो दोस्ती मैं तो बेवफा नही।
मेरे लब हिलते नहीं मेरे महबूब के सामने,
उनसे कह दो मेरी आँखों में इज़हार ए मोहब्बत देखें।
मैंने कहा दर्द है उसने कहा हुआ करे,
मैंने कहा मर जाऊ उसने कहा खुदा करे।
मानता ही नहीं दिल तुझे भूलने की बात,
हम हाथ जोड़ते हैं,,वो पाओं पकड़ लेता है।
मेरी शायरी की छांव में आकर बैठ जाते है,
वो लोग जो मोहब्बत की धूप में जले होते है।
गुफ्तगू धड़कन की हो वहाँ लबों की बात जरूरी नहीं,
जहाँ खमोशीया बोलती हो वहाँ अल्फाज़ जरूरी नहीं।
उस गुलाबी चाँद के चेहरे पे थोड़ा सा रंग लगा देते,
तुम जो पास होते तो हम भी होली मना लेते।
ना उतरे जीवन भर रंग तेरी चाहत का,
तू लगा दे दिल पे मेरे भी ऐसा रंग मोहब्बत का।
हर रंग लग गया देह पर फिर भी तन ना लाल हुआ,
लेकिन जब मिली नजर तुमसे मेरा रोम रोम गुलाल हुआ।
ना जाने कौन सी गली से आओगे तुम,
दिल की ये ज़िद है कि हर गली सज़ा दूं आज।
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